Motivational Story: कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता है

किसी ने मुझसे पूछा की मोटीवेशनल और प्रेरणादायक कहानी पढ़ने से क्या होता है. मैंने सिंपल और सीधा जवाब दिया. इस नकारात्मक दुनिया में एक छोटी सी कोशिश खुद को सकरात्मक बनाने की. ऊर्जा पैदा करने की.
तो इसी सकारात्मकता के साथ आपको भी एक कहानी सुनाते है. ये कहानी एक गुरु और शिष्य की है. एक समय की बात है गुरु अपने शिष्यों के साथ कहीं दूर जा रहे थे. रास्ता काफी लंबा था चलते-चलते सभी थक से गए थे. अब उन्हें विश्राम करने की इच्छा हुई , किंतु अगर विश्राम करते तो गंतव्य स्थल पर पहुंचने में अधिक रात हो जाती. इसलिए वह लोग निरंतर चल रहे थे. रास्ते में एक नाला आया जिस को पार करने के लिए लंबी छलांग लगानी थी. सभी लोगों ने लंबी छलांग लगाकर नाले को पार किया. किंतु गुरुजी का कमंडल उस नाले में गिर गया. सभी शिष्य परेशान हुए एक शिष्य गोपाल कमंडल निकालने के लिए सफाई कर्मचारी को ढूंढने चला गया. अन्य शिष्य बैठकर चिंता करने लगे , योजना बनाए लगे आखिर यह कमंडल कैसे निकाला जाए ?
गुरु जी परेशान होने लगे
क्योंकि गुरुजी ने सभी को स्वावलंबन का पाठ पढ़ाया था. उनकी सिख पर कोई भी शिष्य अमल नहीं कर रहा है. अंत तक वास्तव में कोई भी उस कार्य को करने के लिए अग्रसर नहीं हुआ, ऐसा देखकर गुरु जी काफी विचलित हुए. एक शिष्य मदन उठा और उसने नाले में हाथ लगा कर देखा, किंतु कमंडल दिखाई नहीं दिया. क्योंकि वह नाले के तह में जा पहुंचा था तभी मदन ने अपने कपड़े संभालते हुए नाले में उतरा और तुरंत कमंडल लेकर ऊपर आ गया.

गुरु जी ने अपने शिष्य मदन की खूब प्रशंसा की और भरपूर सराहना की उसने तुरंत कार्य को अंजाम दिया और गुरु द्वारा पढ़ाए गए पाठ पर कार्य किया. तभी शिष्य गोपाल जो सफाई कर्मचारी को ढूंढने गया था वह भी आ पहुंचा, उसे अपनी गलती का आभास हो गया था.