मनरेगा में फर्जीवाड़े पर सख्ती, केंद्र ने लागू की चार स्तरीय मैन्युअल निगरानी व्यवस्था

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत श्रमिकों की उपस्थिति दर्ज करने के लिए विकसित राष्ट्रीय मोबाइल निगरानी प्रणाली (NMMS) के दुरुपयोग की लगातार मिल रही शिकायतों के बाद केंद्र सरकार ने अब इसे अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाने के लिए एक नई व्यवस्था लागू की है। इसके तहत निगरानी के लिए अब चार स्तरों की मैन्युअल जांच प्रणाली शुरू की गई है।
NMMS क्या है?
NMMS एक मोबाइल ऐप आधारित प्रणाली है, जिसमें श्रमिकों को अपने कार्य स्थल पर काम शुरू करते और समाप्त करते समय जियो-टैग सहित फोटो अपलोड करनी होती है। यह प्रणाली श्रमिकों की डिजिटल उपस्थिति को दर्ज करने के उद्देश्य से लाई गई थी।
दुरुपयोग के खुलासे

हालांकि, बीते वर्षों में इस प्रणाली में कई तरह की गड़बड़ियां सामने आई हैं। जांच में पता चला है कि:
- कई जगहों पर फोटो से फोटो लेकर ऐप पर अपलोड की गई।
- एक ही फोटो को बार-बार मस्टर रोल में उपयोग किया गया।
- उपस्थिति के समय में अंतर पाया गया।
- महिलाओं की जगह पुरुषों की तस्वीरें अपलोड कर दी गईं।
- कई बार काम की असली तस्वीरों के स्थान पर पुरानी तस्वीरों को फिर से इस्तेमाल किया गया।
सरकार की नई सख्ती: चार चरणों की जांच प्रणाली
इन खामियों को दूर करने के लिए केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को 13 पन्नों की विस्तृत गाइडलाइन भेजी है और चार स्तरों पर मैन्युअल जांच का आदेश दिया है:
- ग्राम पंचायत स्तर: हर श्रमिक की 100% उपस्थिति और तस्वीरों का सत्यापन।
- ब्लॉक स्तर: 20% तस्वीरों की जांच की जाएगी।
- जिला स्तर: 10% फोटो को परखा जाएगा।
- राज्य स्तर: 5% उपस्थिति रिकॉर्ड की जाँच की जाएगी।
मस्टर रोल में संशोधन की सुविधा
इसके अलावा, सरकार ने अब मस्टर रोल में सुधार की प्रक्रिया को आसान बना दिया है। पहले वेतन बिल बनने से पहले केवल जिला कलेक्टर ही उसमें बदलाव कर सकते थे, लेकिन अब ग्राम स्तर पर भी संशोधन की अनुमति दी गई है।