चांद से मिट्टी लाकर चंद्रयान-4 रचेगा इतिहास, 2029 में होगी लॉन्चिंग

इसरो ने एक बार फिर इतिहास रचने की तैयारी कर ली है। 2029 में लॉन्च होने वाले चंद्रयान-4 मिशन में भारत चंद्रमा से लगभग दो से तीन किलोग्राम मिट्टी का सैंपल लेकर वापस आएगा। इस मिशन की कुल लागत करीब 2104 करोड़ रुपये आंकी गई है। चंद्रयान-3 की सफलता के बाद अब सभी की निगाहें चंद्रयान-4 पर टिकी हैं। चंद्रयान-3 ने पिछले साल चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक लैंड कर भारत को गौरवान्वित किया था, जिसके बाद यह 14 चंद्र दिनों तक सक्रिय रहा और कई महत्वपूर्ण आंकड़े भेजे।
चंद्रयान-4 में पांच होंगे महत्वपूर्ण मॉड्यूल
चंद्रयान-4 में कुल पांच मॉड्यूल शामिल होंगे: एसेंडर मॉड्यूल (एएम), डिसेंडर मॉड्यूल (डीएम), री-एंट्री मॉड्यूल (आरएम), ट्रांसफर मॉड्यूल (टीएम), और प्रपल्शन मॉड्यूल (पीएम)। ये सभी दो अलग-अलग लॉन्च व्हीकल्स के माध्यम से अंतरिक्ष में भेजे जाएंगे। इसरो की रिपोर्ट के मुताबिक, चंद्रमा पर लैंडिंग के बाद रोबोटिक आर्म, जिसे सरफेस सैंपलिंग रोबोट भी कहा जाता है, चंद्रमा की सतह से दो से तीन किलोग्राम मिट्टी का सैंपल इकठ्ठा करेगा। इसे एएम के कंटेनर में सुरक्षित रूप से भरा जाएगा और वापस पृथ्वी पर लाते समय पूरी प्रक्रिया की निगरानी वीडियो कैमरों के जरिए की जाएगी।

सुरक्षित वापसी पर फोकस
इसरो प्रमुख एस. सोमनाथ ने कहा कि चंद्रयान-3 ने यह साबित कर दिया है कि भारत चंद्रमा पर कहीं भी लैंड करने में सक्षम है। अब हमारा अगला लक्ष्य वहां से सुरक्षित वापस लौटना है, जिसके लिए कई नई तकनीकों का विकास आवश्यक है। चंद्रयान-4 का मुख्य उद्देश्य नमूना संग्रह कर सुरक्षित पृथ्वी तक वापस आना होगा। इसरो चीफ का कहना है कि इस बार चंद्रमा से कुछ नया लेकर आया जाएगा। मिट्टी के नमूने इकट्ठा करने की प्रक्रिया में कई चुनौतियां होंगी। विभिन्न स्थानों से मिट्टी को ड्रिल कर, उसे रोबोटिक तकनीक की मदद से कंटेनर में भरना और फिर उस कंटेनर को लैंडर तक सुरक्षित पहुंचाना एक बड़ा कार्य होगा।