‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर भारतीय सांसदों का प्रतिनिधिमंडल 33 देशों में रखेगा भारत का पक्ष, पाकिस्तान की खुलेगी पोल

पहलगाम आतंकी हमले में पाकिस्तान की संलिप्तता को उजागर करने और भारत द्वारा शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर की जानकारी अंतरराष्ट्रीय मंचों तक पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार ने एक बड़ा कूटनीतिक अभियान शुरू किया है। इस अभियान के तहत विदेश यात्रा पर सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों का गठन किया गया है, जिनमें कुल 51 सांसद व पूर्व मंत्री शामिल हैं। इनके साथ ही विदेश मंत्रालय के आठ वरिष्ठ अधिकारी भी इन मिशनों का हिस्सा होंगे।
इन प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व बीजेपी के बैजयंत पांडा और रविशंकर प्रसाद, जेडीयू के संजय कुमार झा, शिवसेना के श्रीकांत शिंदे, कांग्रेस के शशि थरूर, डीएमके की कनिमोझी और राष्ट्रवादी कांग्रेस की सुप्रिया सुले कर रहे हैं। सभी डेलिगेशन 32 देशों की यात्रा करेंगे और अंत में यूरोपीय संघ के मुख्यालय ब्रुसेल्स पहुंचेंगे, जहां वे आतंकवाद के विरुद्ध भारत की रणनीति को दुनिया के सामने रखेंगे।

कांग्रेस में असहमति की लहर
प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस से किन सांसदों को शामिल किया जाए, इसे लेकर पार्टी के भीतर असहमति सामने आई है। पार्टी की ओर से जिन चार नामों की सिफारिश की गई थी, उनमें से सिर्फ आनंद शर्मा को चुना गया। गौरव गोगोई, सैयद नसीर हुसैन और अमरिंदर सिंह राजा वारिंग को बाहर कर दिया गया। इसके बदले शशि थरूर, मनीष तिवारी, सलमान खुर्शीद और अमर सिंह जैसे नामों को स्थान दिया गया, जो पार्टी की अनुशंसा में नहीं थे।
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस महासचिव और संचार विभाग प्रभारी जयराम रमेश ने कहा कि यह मोदी सरकार की "राजनीतिक निष्ठाहीनता" को दर्शाता है और वह इस महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दे पर भी सस्ती राजनीति करने से बाज नहीं आ रही। हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कांग्रेस से चुने गए वरिष्ठ नेता प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा बनेंगे और राष्ट्रहित में अपना योगदान देंगे।
सरकार का जवाब और प्रतिनिधिमंडल की विविधता
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर कहा, "एक मिशन, एक संदेश, एक भारत – सात प्रतिनिधिमंडल ऑपरेशन सिंदूर के तहत अंतरराष्ट्रीय सहयोग मजबूत करेंगे। यह आतंक के खिलाफ हमारे सामूहिक संकल्प का प्रतीक है।"
प्रतिनिधिमंडल में पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद, एमजे अकबर, वी. मुरलीधरन, एसएस अहलूवालिया और सलमान खुर्शीद जैसे प्रमुख नेता भी शामिल किए गए हैं, जो वर्तमान में संसद सदस्य नहीं हैं।
हर दल में मुस्लिम प्रतिनिधित्व
गौर करने वाली बात यह है कि हर प्रतिनिधिमंडल में एक मुस्लिम चेहरा मौजूद है – चाहे वह नेता हों या विदेश सेवा के अधिकारी। सातों डेलिगेशन में एनडीए के 31 और विपक्षी दलों के 20 सदस्य शामिल हैं। साथ ही हर समूह के साथ एक या दो विदेश मंत्रालय के अधिकारी भी नियुक्त किए गए हैं, ताकि सभी कूटनीतिक स्तरों पर संपर्क और संवाद को मजबूती दी जा सके।
यह प्रयास भारत की वैश्विक कूटनीति में एक नया अध्याय जोड़ने की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है, जहां राष्ट्रीय एकता के साथ दुनिया को आतंक के खिलाफ भारत की नीतियों का भरोसा दिलाने की कोशिश की जा रही है।