चुनाव आयोग ने राहुल गांधी के आरोपों को बताया निराधार, वोटिंग डेटा के साथ पेश किया जवाब

अमेरिका दौरे के दौरान 20 अप्रैल को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने महाराष्ट्र चुनाव को लेकर सवाल उठाए थे, जिन पर अब भारत के चुनाव आयोग ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। मंगलवार को जारी बयान में आयोग ने राहुल गांधी के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि भारत में चुनावों की प्रक्रिया विश्वसनीय और पारदर्शी है, जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सराहा जाता है।
चुनाव आयोग ने दो टूक कहा कि वोटर लिस्ट तैयार करने से लेकर मतदान और मतगणना तक की प्रक्रिया में सरकारी कर्मचारियों की निष्पक्ष भागीदारी होती है। ऐसे में आयोग की छवि को धूमिल करने की कोशिशें बेबुनियाद और दुर्भावनापूर्ण हैं।
बयान में यह भी कहा गया कि किसी भी प्रकार की गलत जानकारी फैलाना सिर्फ कानून का उल्लंघन नहीं है, बल्कि इससे उन हजारों पार्टी प्रतिनिधियों की मेहनत को भी ठेस पहुंचती है जो चुनाव प्रक्रिया में शामिल होते हैं। साथ ही, यह उन लाखों कर्मचारियों के समर्पण का भी अपमान है जो निष्पक्ष चुनाव सम्पन्न कराने में जुटे रहते हैं।

राहुल गांधी ने अमेरिका के बॉस्टन शहर में एक कार्यक्रम के दौरान दावा किया था कि शाम 5:30 से 7:30 बजे के बीच महाराष्ट्र में 65 लाख वोट डाले गए, जो कि तकनीकी रूप से असंभव है क्योंकि एक वोट डालने में औसतन 3 मिनट लगते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अगर यह आंकड़ा सही हो, तो रात 2 बजे तक वोटरों की कतारें लगी होनी चाहिए थीं।
इसके जवाब में आयोग ने आंकड़ों के साथ स्पष्ट किया कि महाराष्ट्र में सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक कुल 6,40,87,588 लोगों ने मतदान किया। औसतन हर घंटे 58 लाख वोट डाले गए, यानी दो घंटे में लगभग 116 लाख मतदाता वोट कर सकते हैं। इस हिसाब से 65 लाख वोट दो घंटे में डाले जाना सामान्य प्रक्रिया का ही हिस्सा है, ना कि कोई असामान्यता।
राहुल गांधी ने यह भी आरोप लगाया था कि महाराष्ट्र में बालिग जनसंख्या से अधिक वोटिंग हुई है। इस पर चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि वोटर लिस्ट को कानूनी प्रक्रिया के तहत समय-समय पर अपडेट किया जाता है और फाइनल सूची सभी राजनीतिक दलों को उपलब्ध कराई जाती है, जिसमें कांग्रेस भी शामिल है।
गौरतलब है कि यह पहली बार नहीं है जब राहुल गांधी ने वोटर लिस्ट को लेकर सवाल उठाए हों। इससे पहले फरवरी में उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भी आरोप लगाया था कि फर्जी वोटर्स जोड़कर भाजपा को फायदा पहुंचाने की कोशिश की गई। उन्होंने आयोग से मतदाता डेटा की मांग भी की थी। इस पूरे विवाद पर चुनाव आयोग का कहना है कि गलत जानकारियों को फैलाकर संस्थाओं पर सवाल उठाना लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर करने जैसा है।