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ISRO ने सफलतापूर्वक लॉन्च किया प्रोबा-3 मिशन, सूर्य के कोरोना पर रखेगा नज़र

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 5 दिसंबर 2024 को अपने ऐतिहासिक प्रोबा-3 मिशन को सफलता के साथ लॉन्च किया। यह लॉन्च श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से PSLV-XL रॉकेट के जरिए किया गया, और महज 26 मिनट में रॉकेट ने अपने सैटेलाइट्स को निर्धारित कक्षा में स्थापित कर दिया। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य सूरज के कोरोना का गहराई से अध्ययन करना है, और इस मिशन के तहत दो सैटेलाइट्स को एक साथ अंतरिक्ष में भेजा गया है।

इस मिशन में PSLV-C59 रॉकेट की 61वीं उड़ान थी। यह रॉकेट 145.99 फीट ऊंचा और 320 टन वजन का है, और इसे 600 x 60,530 किलोमीटर की अंडाकार कक्षा में प्रोबा-3 सैटेलाइट्स को स्थापित करने के लिए भेजा गया। इस मिशन में दो सैटेलाइट्स शामिल हैं – कोरोनाग्राफ स्पेसक्राफ्ट और ऑक्लटर स्पेसक्राफ्ट, जो सूरज के कोरोना का अध्ययन करेंगे।


प्रोबा-3 सैटेलाइट्स के कार्य

1. कोरोनाग्राफ स्पेसक्राफ्ट (310 किलोग्राम वजनी): यह सैटेलाइट सूरज की दिशा में मुंह करके स्थिर रहेगा और लेजर तथा विजुअल टार्गेट की मदद से अध्ययन करेगा। इसमें ASPIICS और 3DEES जैसे अत्याधुनिक उपकरण होंगे, जो सूरज के बाहरी और आंतरिक कोरोना के बीच के गैप का अध्ययन करेंगे।

2. ऑक्लटर स्पेसक्राफ्ट (240 किलोग्राम वजनी): यह सैटेलाइट कोरोनाग्राफ के पीछे रहेगा और DARA उपकरण के जरिए कोरोना से प्राप्त डेटा का विश्लेषण करेगा।

सूरज के कोरोना का गहराई से अध्ययन
प्रोबा-3 मिशन का मुख्य उद्देश्य सूरज के कोरोना यानी उसकी बाहरी परत का गहराई से अध्ययन करना है। दोनों सैटेलाइट्स 150 मीटर की दूरी पर एक साथ सूरज के कोरोना के चारों ओर चक्कर लगाएंगे। इन सैटेलाइट्स के बीच की दूरी और गति सूरज के कोरोना से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियों का खुलासा करेगी।

यह मिशन न केवल ISRO के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, बल्कि सूरज के अध्ययन में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। प्रोबा-3 द्वारा प्राप्त जानकारी से वैज्ञानिकों को सूरज की गतिविधियों और उसके प्रभावों को समझने में मदद मिलेगी, जो पृथ्वी और हमारे सौरमंडल के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है।